समझदारी आने तक यौवन चला जाता है जब तक माला गुंथी जाती है फूल मुरझा जाते हैं।
तुम कहो या ना कहो... तकाज़े सब बयां कर देते हैं.... फिर चाहें बेरुखी हो या मोहब्बत.
गुलाब से पूछो कि दर्द क्या होता है, देता है पैगाम मोहब्बत का और खुद कांटो में रहता है.
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर, हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है ..!!
बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे, वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे...!!!
पढ़ रहा हुं मैं इश्क की किताब अगर बन गया वकील तो , बेवफओं की खैर नही..।
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं.!!
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा, जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका इश्क मुकम्मल होता है , हमने तो यहाँ इंसानों को बस बर्बाद होते देखा है
मौत और मोहोब्बत तो बस नाम से बदनाम है ! असली दर्द तो Slow Internet देता है !!
कुछ लोग आंसुओं की तरह होते हैं पता ही नहीं चलता साथ दे रहे हैं या साथ छोड़ रहे हैं....!!
खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों, मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है ।
उसके दिलमें नही तो क्या हुआ.. उसकी ब्लॉकलिस्ट में तो है हम.
क्यूँ घबराता है ऐ इंसान तू कुछ खोने से, जीवन तो शुरू ही होता है रोने से.
खुद की "Selfy" निकालना सेक़ेन्डों का काम है, लेक़िन खुद की "Image" बनानें में जिन्दगी गुजर जाती है !!
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, छण भर जीवन, मेरा परिचय
और भी बनती लकीरें दर्द की शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए।
सीढिया उन्हे मुबारक हो... जिन्हे छत तक जाना है... मेरी मन्जिल तो आसमान है.. रास्ता मुझे खुद बनाना है..।
सारी दुनिया रूठ जाने से मुझे मुझे गरज नहीं,बस एक तेरा रूठ जाना मुझे तकलीफ देता है..
मैंने भी बदल दिये हैं जिन्दगी के उसूल । अब जो याद करेगा सिर्फ वही याद रहेगा ।
रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में, इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना
आईने के सामने सजता सँवरता है हर कोई, मगर आइनों सी साफ जिन्दगी जीता है कोइ-कोई
हेंसीयत तो इतनी हैं की.. जब आंख उठाते हैं तो नवाब भी सलाम ठोकते हैं....!!!
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता..। मोहब्बत ना सही देखना तो नसीब होता..
इस दुनीया मैं हम से जलने वाले बहोत हैं.. मगर उससे कोइ फरक नहीं पड़ता.. !! क्योंकी हम पे मरने वाले भी बहोत हैं !
उसके ख्याल से ही इतनी ख़ूबसूरत है दुिनयां अगर वो साथ हो तो क्या बात है..
दोस्ती का इरादा था.. प्यार हो गया।। दोस्तो अब दुआ दीजिये... सलाह नही।।
मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी, दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था..
नसीब का लिखा तो मील ही जायेगा, या रब .... देना हे तो वो दे जो तकदीर मे ना हो .
कतल हुवा इस तरह हमारा किश्तों में, कभी खंजर बदल गये कभी कातिल ।।
मुझे ढूंढने की कोशिश अब न किया कर, तूने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली...!!
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले, और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...!
तेरी याद से अच्छी तो मेरी सराब हे ज़ालिम, कमब्क्त रुलाने के बाद सुला तो देती हे मुझे !!
बेर कैसे होते है 'शबरी' से पूछो, राम जी से पूछोगे तो मीठा ही बोलेंगे !!
मजबूत रिश्ते और कडक चाय......धीरे धीरे बनते है...!!
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर.. तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये....!!
ऊपर जिसका अन्त नही उसे आसमां कहते है॥ इस जहां मे जिसका अन्त नही उसे मां कहते है॥
बड़ी मुस्किल से बनाया था अपने आपको काबिल उसके, उसने ये केहकर बिखेर दिया… की तुमसे मोह्बत तो है पर पाने की चाहत नही हे !!
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे, वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है.
हम तो यूहीँ दिल साफ रखा करते थे..... पता नहीं था कीमत चेहरों की होती है..
इन बादलों का मिज़ाज मेरे मेहबूब से काफी मिलता हे , कभी टुटके बरसाते हे तो कभी बेरुखी से गुजर जाते हे !!
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल, इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है.....!!
मेरी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला.. मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से..!!
वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में....अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी, अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी
होठ मिला दिए उसने मेरे होठो से यह कहकर... शराब पीना छोड़ दोगे तोह यह जाम तुम्हे रोज़ मिलेगा..
आगरा का ताजमहल गवाह हैं की औरत जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी जेबें खाली करवा सकती है.
खुशियाँ बटोरते बटोरते
तुम कहो या ना कहो... तकाज़े सब बयां कर देते हैं.... फिर चाहें बेरुखी हो या मोहब्बत.
गुलाब से पूछो कि दर्द क्या होता है, देता है पैगाम मोहब्बत का और खुद कांटो में रहता है.
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर, हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है ..!!
बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे, वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे...!!!
पढ़ रहा हुं मैं इश्क की किताब अगर बन गया वकील तो , बेवफओं की खैर नही..।
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं.!!
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा, जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका इश्क मुकम्मल होता है , हमने तो यहाँ इंसानों को बस बर्बाद होते देखा है
मौत और मोहोब्बत तो बस नाम से बदनाम है ! असली दर्द तो Slow Internet देता है !!
कुछ लोग आंसुओं की तरह होते हैं पता ही नहीं चलता साथ दे रहे हैं या साथ छोड़ रहे हैं....!!
खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों, मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है ।
उसके दिलमें नही तो क्या हुआ.. उसकी ब्लॉकलिस्ट में तो है हम.
क्यूँ घबराता है ऐ इंसान तू कुछ खोने से, जीवन तो शुरू ही होता है रोने से.
खुद की "Selfy" निकालना सेक़ेन्डों का काम है, लेक़िन खुद की "Image" बनानें में जिन्दगी गुजर जाती है !!
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, छण भर जीवन, मेरा परिचय
और भी बनती लकीरें दर्द की शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए।
सीढिया उन्हे मुबारक हो... जिन्हे छत तक जाना है... मेरी मन्जिल तो आसमान है.. रास्ता मुझे खुद बनाना है..।
सारी दुनिया रूठ जाने से मुझे मुझे गरज नहीं,बस एक तेरा रूठ जाना मुझे तकलीफ देता है..
मैंने भी बदल दिये हैं जिन्दगी के उसूल । अब जो याद करेगा सिर्फ वही याद रहेगा ।
रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में, इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना
आईने के सामने सजता सँवरता है हर कोई, मगर आइनों सी साफ जिन्दगी जीता है कोइ-कोई
हेंसीयत तो इतनी हैं की.. जब आंख उठाते हैं तो नवाब भी सलाम ठोकते हैं....!!!
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता..। मोहब्बत ना सही देखना तो नसीब होता..
इस दुनीया मैं हम से जलने वाले बहोत हैं.. मगर उससे कोइ फरक नहीं पड़ता.. !! क्योंकी हम पे मरने वाले भी बहोत हैं !
उसके ख्याल से ही इतनी ख़ूबसूरत है दुिनयां अगर वो साथ हो तो क्या बात है..
दोस्ती का इरादा था.. प्यार हो गया।। दोस्तो अब दुआ दीजिये... सलाह नही।।
मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी, दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था..
नसीब का लिखा तो मील ही जायेगा, या रब .... देना हे तो वो दे जो तकदीर मे ना हो .
कतल हुवा इस तरह हमारा किश्तों में, कभी खंजर बदल गये कभी कातिल ।।
मुझे ढूंढने की कोशिश अब न किया कर, तूने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली...!!
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले, और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...!
तेरी याद से अच्छी तो मेरी सराब हे ज़ालिम, कमब्क्त रुलाने के बाद सुला तो देती हे मुझे !!
बेर कैसे होते है 'शबरी' से पूछो, राम जी से पूछोगे तो मीठा ही बोलेंगे !!
मजबूत रिश्ते और कडक चाय......धीरे धीरे बनते है...!!
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर.. तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये....!!
ऊपर जिसका अन्त नही उसे आसमां कहते है॥ इस जहां मे जिसका अन्त नही उसे मां कहते है॥
बड़ी मुस्किल से बनाया था अपने आपको काबिल उसके, उसने ये केहकर बिखेर दिया… की तुमसे मोह्बत तो है पर पाने की चाहत नही हे !!
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे, वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है.
हम तो यूहीँ दिल साफ रखा करते थे..... पता नहीं था कीमत चेहरों की होती है..
इन बादलों का मिज़ाज मेरे मेहबूब से काफी मिलता हे , कभी टुटके बरसाते हे तो कभी बेरुखी से गुजर जाते हे !!
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल, इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है.....!!
मेरी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला.. मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से..!!
वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में....अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी, अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी
होठ मिला दिए उसने मेरे होठो से यह कहकर... शराब पीना छोड़ दोगे तोह यह जाम तुम्हे रोज़ मिलेगा..
attitude तो सब लोगों के पास होता है, बस फर्क इतना है कि किसी का Attitude छिप जाता है, और हमारा Attitude तो छप जाता है..!
attitude तो सब लोगों के पास होता है, बस फर्क इतना है कि किसी का Attitude छिप जाता है, और हमारा Attitude तो छप जाता है..!
आगरा का ताजमहल गवाह हैं की औरत जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी जेबें खाली करवा सकती है.